डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित हुए अक्षत गोयल, धर्मनगरी सहित प्रदेश का बढ़ाया मान

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  • न्यायमूर्ति (सेनि) राजेश टंडन के हाथों हुए अक्षत सम्मानित
  • व्यावसायिक क्षेत्र में बेहतरीन व उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए मिली उपाधि
  • सुकरात सामाजिक अनुसंधान विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट पुरस्कार (ऑनोरिश कांसा) से किया गया सम्मानित

वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।

यदि कोई व्यक्ति मानवतावादी दर्शन सिद्धांत के मूल्यों पर चलकर समाजोत्थान की प्रबल इच्छा लिए हुए ,अपने जोखिम भरे कार्य को दृढ़ इच्छा शक्ति, संकल्प, कड़ी मेहनत,धैर्य,लगन,स्वअनुशासन, सकारात्मक दृष्टिकोण व आत्म विश्वास के दम पर अपने कार्य को अंजाम दे रहा हो, तो निश्चित जानिए कि सफलता, ऐसे व्यक्ति के कदमों को चूमती चली जाती है।

ऐसे ही एक उत्साही,व्यवहार कुशल,संघर्ष शील व मेहनती युवा इन दिनों अखबार की सुर्खियों में छाया हुआ है। जिसका नाम है-अक्षत गोयल।

अक्षत गोयल,योग व धर्मनगरी के नाम से विश्व विख्यात ऋषिकेश के एक प्रसिद्ध होटल व्यवसायी हैं।

अक्षत गोयल को उनके व्यावसायिक कार्य क्षेत्र में बेहतरीन व उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए, सुकरात सामाजिक अनुसंधान विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट पुरस्कार (ऑनोरिश कांसा) से सम्मानित किया गया है।

यह पुरस्कार श्री अक्षत गोयल को दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में उच्च न्यायालय के (सेनि) न्यायाधीश राजेश टंडन के हाथों प्रदान किया गया।

इस मौके पर मिथिलेश कुमार कठेरिया सांसद, सुश्री बांसुरी स्वराज सांसद, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश लक्ष्मी नारायण राव, प्रो० एके भागी अध्यक्ष डूटा, हुकुमचंद, डॉ नाहर सिंह, डॉ संजीव तिवारी, डॉ विक गैफनी (ऑस्ट्रेलिया), प्रो० मनन कौशल निर्देशक आईटीडीसी भारत सरकार सहित अन्य नामी-गिरामी शख्सियत मौजूद थे।

बताते चलें कि अक्षत गोयल को यह पुरस्कार उद्यमिता के क्षेत्र में अभिनव प्रयोगों सहित सामाजिक व व्यावहारिक क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिये प्रदान किया गया है।

वाणिज्य विषय का छात्र अक्षत गोयल अध्ययन काल से ही किसी अन्य क्षेत्र में अपनी सेवा देने के बजाय, स्वरोजगार अपनाना ही ,उन्होंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था, जिसमें वे आज न सिर्फ कामयाबी की शिखर पर पहुंचते दिखाई दे रहे हैं, बल्कि उद्यमी युवाओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में अपनी पहचान बनाते जा रहे हैं।

अक्षत गोयल का कहना है कि उनका मकसद युवाओं को उधमिता से जोड़ते हुए, उन्हें स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित करने के साथ, ऐसा स्वावलंबी बनाना है, कि वे औरों को भी रोजगार देने योग्य उद्यमी बनें।

उनका कहना है कि थोड़ी बहुत मेहनत करके अपना व घर परिवार का पेट तो, हर कोई पाल लेता है। मगर स्वरोजगार के बड़े मायने ये हैं कि, आज के युवा औरों को भी रोजगार देने लायक बना सकें।

आज अक्षत गोयल जिस मुकाम पर पहुंचे हैं। यह सब उनकी मेहनत की पूंजी की बदौलत है।

अक्षत गोयल ने इन पंक्तियों को साकार किया है-कि:-

लहरों से डर कर कभी, नैया पार नहीं होती;

मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।।

 

बताते चलें कि भारतीय फिल्म अभिनेता और लेखक आदित्य रावल भी अक्षत गोयल के कार्यों से प्रभावित हैं।

आदित्य रावल, पिता परेश रावल और मां स्वरूप संपत के पुत्र हैं। स्वरूप संपत ने वर्ष 1979 में मिस इंडिया का खिताब अपने नाम किया था। और उन्हें मिस इंडिया का गौरव प्राप्त हुआ था।

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